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वैदिक ज्ञान पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू, आरिफ मोहम्मद खान ने की शिरकत

शिमला, 29 अप्रैल (हि.स.)। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में “लौकिक सौहार्द के लिए वैदिक ज्ञान” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सोमवार को शुरू हुई। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र मे मुख्य अतिथि के रूप में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भाग लिया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य वैदिक ज्ञान की गहन अंतर्दृष्टि और लौकिक सौहार्द को बढ़ावा देने में उनकी प्रासंगिकता पर चर्चा रखा गया है।

दो दिवसीय इस संगोष्ठी में देश भर के प्रसिद्ध विद्वान गहन वैचारिक चर्चाओं में भाग ले रहे हैं। इसका आयोजन यूनिवर्सल वेदा रिसर्च इंस्टीट्यूट थिरूवन्नामाली तमिलनाडु और संथीगिरि रिसर्च फाउंडेशन थिरूवन्नामाली केरल के तत्वाधान में हो रहा है।

पहले दिन संगोष्ठी में वैदिक ज्ञान द्वारा प्रस्तुत वास्तविकता के समग्र, सर्वांगीण और आध्यात्मिक दृष्टिकोण पर विशेषज्ञों द्वारा विचार व्यक्त किए गए।इस बात पर मंथन किया गया कि प्राचीन शिक्षाएं हमारा अधिक सामंजस्यपूर्ण जीवन शैली की ओर मार्गदर्शन कर सकती हैं।

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि वैदिक सोच मानव में ही समानता नहीं अपितु हरेक जीवात्मा को समानता देती है और सत्य को अपनाने की सीख देती है। उन्होंने कहा कि वैदिक सोच में सभी सामान है और सभी ब्रम्ह हैं, ऐसे में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक कोई नहीं। उन्होंने विश्व शांति और सौहार्द्र के लिए वैदिक परम्पराओं को आचरण में शामिल करने की जरूरत पर बल दिया।

उन्होंने वैदिक ज्ञान को संघर्ष समाधान और व्यक्तिगत विकास से जोड़ते हुए बताया कि एक एकीकृत व्यक्तित्व इसकी सर्वोच्च उपलब्धियों में से एक है।

आरिफ मोहम्मद खान ने वैदिक ज्ञान के समग्र स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैदिक ज्ञान की प्रासंगिकता वास्तविकता के एक अभिन्न, समग्र और आध्यात्मिक दृष्टिकोण और उस पर आधारित जीवन के मार्ग की विशेषता है। यह चेतन और निर्जीव, सभी अस्तित्वों की मौलिक एकता की वकालत करता है। यह भव्य वैदिक दृष्टि है, और यह ऋग्वेद के इस आह्वान के साथ संरेखित है कि समूचे ब्रह्मांड से महान विचार हमारे चिंतन में समाएं।